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धारा - 35 शरीर तथा सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार

धारा - 35 शरीर तथा सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार
काल्पनिक चित्र

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा - 35

(शरीर तथा सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार)

धारा 37 में अन्तर्विष्ट निर्बन्धनो के अध्यधीन, प्रत्येक व्यक्ति को अधिकार है कि, वह - 

(क) मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले किसी अपराध के विरुद्ध अपने शरीर और किसी अन्य व्यक्ति के शरीर की प्रतिरक्षा करे ।

(ख) किसी ऐसे कार्य के विरुद्ध, जो चोरी, लूट, रिष्टि या आपराधिक अतिचार की परिभाषा में आने वाला अपराध है, या जो चोरी, लूट, रिष्टि या आपराधिक अतिचार करने का प्रयत्न है अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की, चाहे जंगम, चाहें स्थावर सम्पत्ति की प्रतिरक्षा करे।

(IPC) की धारा 97 को (BNS) की धारा 35 में बदल दिया गया है।
(IPC) की धारा 97 को (BNS) की धारा 35 में बदल दिया गया है।


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